Format | Hardcopy |
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Author | स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक |
Editor / Translator Name | आचार्य सुमेरु प्रसाद जी |
Writer Name | स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक |
Publisher Name | DARSHAN YOG DHARMARTH TRUST (ROJAD) |
Language | Hindi |
No. of Pages | 92 |
SKU | H023 |
Size | 14 X 22 |
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मानव जीवन को आदर्श रूप मे जीना,ईश्वर प्राप्ति जीवन का मुख्य लक्ष्य हो,विवके वैराग्य, मन पर नियंत्रण किस प्रकार, आत्मा बुद्धि व मन को शुद्ध करता है संस्कार, योगाभ्यासी की भाषा आदरभाव प्रेमभाव ब कोमलता से युक्त हो, हमारे कर्म व व्यवहार आत्मचिंतन अनिवार्य,मन वाणी, शरीर से गंभीर होकर सिद्धांतों के परिज्ञान का प्रयास,सत्यप्रियाचरण युक्त व्यवहार करना हमारा धर्म ऑर ईश्वर का आदेश मानना,पर दोष दर्शन से दूर,मृत्युभय ऑर उससे बचने के उपाय आदि विषयों का वर्णन है।