पुस्तक : आर्षविष्णुसहस्त्रनामार्थ
लेखक :पूज्य स्वामी ध्रुवदेव जी परिव्राजक
साइज़ : 14cm X 21cm X 0.5cm
पृष्ट : 104
संस्करण : प्रथम
प्रकाशक : सर्वकल्याण धर्मार्थ न्यास, पानीपत, हरियाणा
विषय : इस नवीन पुस्तक में परमपिता परमात्मा के एक हजार से भी अधिक नामों की अर्थ सहित सूची प्रस्तुत की गई है।
आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद जी ने अपने सत्यार्थ प्रकाश आदि ग्रंथों में लिखा है कि ऋग्वेदादि चार मंत्र संहिताओं में एक ही ईश्वर की सत्ता का प्रतिपादन किया गया है, जिसका मुख्य नाम ओम् (ओ३म्) है; परंतु ईश्वर के अनंत गुण, कर्म, स्वभाव होने से उसे अनेकानेक नामों से पुकारा जाता है। इसीलिए वेदादिक सत्य शास्त्रों में ईश्वर के अनेक नामों का उल्लेख पाया जाता है।