अध्यात्म मार्ग में शीघ्र उन्नति करने हेतु आत्मनिरीक्षण एक महत्वपूर्ण कार्य है । आत्मनिरीक्षण क्या है ? आत्मनिरीक्षण कितने प्रकार के हैं ? आत्मनिरीक्षण के पूर्व कैसी तैयारी करनी चाहिये ? आत्मनिरीक्षण करने से लाभ ? और न करने से हानियाँ ? आत्मनिरीक्षण करने की विधि क्या है ? क्या आत्मनिरीक्षण में हमें सिर्फ दोषों को देखना चाहिए, गुणों को नहीं ? आदि-आदि विषयों पर स्वामी विवेकानंद जी द्वारा प्रकाश डाला गया है ।
लेखक :- श्री स्वामी विवेकानंद परिव्राजक , सम्पादक :- डॉ . राधावल्लभ, विभाग :- आध्यात्मिक विज्ञान, आकार (cm) :- 14x22 (डेमी16 पेजी साइज़), पृष्ठ :- 96, वजन :- लगभग 160 ग्राम, छपाई :- उत्तम एवं एक रंग में, पेपर :- अच्छे मेपलिथो कागज़ (80 ग्राम), टाइटल :- बहुरंगी, पेपर बेक (अजिल्द), LEMINATION / UV COATING सहित, गेटअप :- आकर्षक, छूट :- 10% से 40% तक (संख्या पर आधारित)